साल 2013 से ही बीबीसी 100 वीमेन, प्रेरणा देने वाली महिलाओं की कहानियों को पूरी दुनिया के सामने लाने का काम कर रहा है.
पिछले सालों में हमने असाधारण महिलाओं के विविधतापूर्ण ग्रुप को सम्मानित किया है, जिसमें मेकअप उद्यमी बॉबी ब्राउन, संयुक्त राष्ट्र की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमीना मोहम्मद, सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफ़ज़ई, एथलीट सिमोन बाइल्स, सुपर मॉडल एलेक वेक, संगीतकार एलिशिया कीज़ और ओलंपिक चैंपियन बॉक्स निकोला एडम्स शामिल हैं.
इस साल बीबीसी की ये पुरस्कार विजेताओं की सीरिज़ अपने छठे साल में प्रवेश कर रही है. साल 2019 में बीबीसी 100 वीमेन फ़ीमेल फ़्यूचर के बारे में होगी.
साल 2019 में दुनिया भर की जिन 100 महिलाओं ने इस सूची में जगह पाई, उनमें सात भारतीय हैं.
अरण्या जौहर लैंगिक ग़ैरबराबरी, मानसिक सेहत और अपने शरीर को लेकर सकारात्मक सोच जैसे मुद्दों को अपनी कविता के माध्यम से संबोधित करती हैं.
उनके 'अ ब्राउन गर्ल्स गाइड टू ब्यूटी' वीडियो को यूट्यूब में तीस लाख से अधिक बार देखा जा चुका है.
उनकी भविष्य की परिकल्पना है, "अगर महिलाएं कार्यबल में शामिल हो जाए तो वैश्विक जीडीपी 28 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है. हम क्यों दुनिया की आधी आबादी और उनकी संभावना को सीमित कर रहे हैं. लैंगिक बराबरी वाली दुनिया कैसी दिखेगी? और हम इससे कितनी दूर हैं?"
सुस्मिता मोहंती, अंतरिक्ष उद्यमी
भारत की स्पेस वीमेन के रूप में इनकी ख्याति है. स्पेसशिप डिज़ाइनर सुस्मिता ने भारत के पहले स्पेस स्टार्टअप की स्थापना की.
पर्यावरण बचाने को लेकर संवेदनशील सुस्मिता अपने बिज़नेस का इस्तेमाल अंतरिक्ष से जलवायु परिवर्तन को समझने और निगरानी करने में मदद के लिए करती हैं.
भविष्य के लिए उनका विज़न है, "मुझे डर है कि तीन से चार पीढ़ियों में हमारा ग्रह बहुत रहने लायक नहीं रह जाएगा. मैं उम्मीद करती हूं कि इंसानियत पर्यावरण बचाने के लिए आपात कार्रवाई की ज़रूरत महसूस करेगी.
वंदना शिवा, पर्यावरणविद्
ख़लाफ़ चिपको आंदोलन चलाया था.
दुनिया में अब वो जानी मानी प्रतिष्ठित पर्यावरण नेत्री हैं और इकोफ़ेमिनिस्ट पुरस्कार की विजेता हैं, जिसे दूसरा नोबल पीस प्राइज़ भी कहा जाता है. वो महिलाओं को प्रकृति की रक्षक के रूप में देखती हैं.
वंदना कहती हैं, "मैं उम्मीद करती हूं कि महिलाएं विनाश और पतन से उबरने का रास्ता दिखाएंगी और हमारे साझा भविष्य के बीज बोएँगी."