#100WOMEN: शुक्राणु पर अंकुश वाली गोलियां बाज़ार में क्यों नहीं आती?


गर्भनिरोधक गोलियों से पहले क्या होता था?


गर्भनिरोधक गोलियों से पहले, पुरुषों को गर्भनिरोध की प्रक्रिया में शामिल होना होता था, उदाहरण के लिए उन्हें कंडोम इस्तेमाल करना होता था.


1960 के दशक में जब महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां बड़े पैमाने पर तैयार होने लगीं तब गर्भनिरोध का फ़ैसला महिलाओं के नियंत्रण हो गया. महिलाएं यह काम अपने सेक्शुअल पार्टनर को बिना बताए भी कर सकती थीं.


आज, दुनियाभर में 10 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां इस्तेमाल करती हैं. यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में यह गर्भनिरोध का सबसे प्रचलित तरीका है.


वहीं अफ्ऱीका, लैटिन अमरीका और उत्तरी अमरीका में गर्भनिरोधक गोलियां गर्भनिरोध का दूसरा सबसे प्रचलित तरीका है. जबकि एशिया में यह तीसरा सबसे प्रचलित तरीका है.


पिछले कुछ दशक में गर्भनिरोधक गोलियों के चलते महिलाओं की ज़िंदगी थोड़ी आसान हुई है. वे अपनी सुविधा से यह तय कर पा रही हैं कि वे कब मां बनना पसंद करेंगी. इससे उन्हें उच्च शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में फ़ायदा भी हुआ है.


यह भी एक वजह है जिसके चलते इसे महिला अधिकारों की दिशा में एक अहम पड़ाव माना जाता है. वैसे इसकी गिनती 20वीं शताब्दी के सबसे महान आविष्कारों में होती है.


महिला-पुरुष बराबरी


समाज में जेंडर समानता की बात बढ़ रही है, उसका दायरा विस्तृत हो रहा है. तब यह बात खटकती है कि गर्भनिरोध से संबंधित दुष्प्रभावों के अलावा भावनात्मक, सामाजिक, वित्तीय और समय से संबंधित चुनौतियों का सामना केवल महिलाओं को ही करना पड़ रहा है.


ऐसे में, हम लोगों के पास अभी तक पुरुषों वाली गर्भनिरोधक गोलियां क्यों नहीं है?


महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियों की जब खोज हुई, उसके एक दशक के भीतर ही ये आम लोगों के लिए उपलब्ध हो गईं थीं. पुरुषों की गोलियों के बाज़ार में पहुंचने में इतना लंबा वक्त क्यों लग रहा है, जबकी इसका पहला ट्रायल 1970 में हो गया था.


कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का विकास करने की प्रक्रिया महिलाओं की गर्भनिरोधक गोलियों की तुलना में कहीं ज़्यादा जटिल है.


पुरुषों की गर्भनिरोधक गोलियां स्पर्म उत्पादन को रोक कर अपना काम करती है, लेकिन ऐसा करने के लिए जिस तरह के हॉर्मोन की ज़रूरत होती है उसके साइड इफेक्ट्स होते हैं.


इसके अलावा सामाजिक और आर्थिक कारकों की भी अपनी भूमिका है. प्रजनन संबंधी विज्ञान और मेडिसीन की दुनिया मुख्य तौर पर महिलाओं के शरीर पर केंद्रित है, इसमें पुरुषों की अनदेखी होती है.


उदाहरण के लिए, हर कोई यह तो जानता है कि गायनोकोलॉजिस्ट क्या करते हैं लेकिन लोगों को एंड्रोलॉजिस्ट के बारे में मालूम नहीं होता. एंड्रोलॉजिस्ट उन विशेषज्ञों को कहा जाता है जो पुरुषों के प्रजनन संबंधी विज्ञान में दक्ष होते हैं.


क्यों रुका हुआ है काम?


महिलाओं की गर्भनिरोधक गोलियों के कई दशकों के बाद पुरुषों के लिए ऐसी गोलियों पर काम शुरू हुआ और इसके बाद यह काम फ़ंड की कमी के चलते अटकता रहा.


पुरुषों के लिए ऐसी ही एक गोली 'क्लीन शीट्स' पर रिसर्च रुकी हुई है, यह गर्भनिरोधक गोली सेक्स के दौरान पुरुष में वीर्य नहीं बनने देती. असल में वीर्य के निकलने को पुरुषों की सेक्शुअलिटी में अहम माना जाता है.


हालांकि कई दशक पहले हुए शोध के मुताबिक लंबे समय तक संबंधों में रहने वाली महिलाएं अपने पुरुष साथी पर भरोसा करती हैं और जहां बात कैज़ुएल सेक्स की आती है तो महिलाएं पुरुषों पर कम भरोसा करती हैं फिर चाहे पुरुष गर्भनिरोध का ही इस्तेमाल क्यों ना कर रहे हों.