मिस्र के मशहूर कॉमेडियन बासेम यूसेफ़ जब ब्रिटेन में अपना पहला शो कर रहे थे, तो वो मंच पर एक बिडेट लेकर आए.
यूसेफ़ ने कहा कि 'हम अरब के लोग जब विदेश दौरे के लिए पैकिंग करते हैं, तो तीन चीज़ें रखना नहीं भूलते. एक तो पासपोर्ट, कुछ नकदी और जो तीसरी चीज़ हम हमेशा साथ रखते हैं, वो हाथ से पकड़ी जाने वाली बिडेट है.'
यूसेफ़ ने हवा में एक शौचालय में लगने वाला पाइप यानी बिडेट लहराया, जिससे शौच के बाद धोने के लिए पानी स्प्रे करते हैं. अरबी भाषा में इसे शत्तफ़ और अंग्रेज़ी में 'बम गन' कहते हैं.
यूसेफ़ ने पश्चिमी देशों का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा कि यूं तो पश्चिमी देशों ने बहुत तरक़्क़ी कर ली है. लेकिन, जब बात शरीर के पीछे के हिस्से की आती है, तो पश्चिमी देश, बाक़ी दुनिया से बहुत पिछड़े हुए हैं.
दुनिया के तमाम लोग और बहुत से हिंदुस्तानी इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखते हैं.
हम हिंदुस्तानी हाजत रफ़ा करने, या शौच करने या फिर पॉटी करने के बाद धोते हैं. मगर अमरीकी और ब्रितानी लोग, इसके बाद टिश्यू पेपर इस्तेमाल करते हैं और धोने के बजाय पोछ कर काम चला लेते हैं.
'सैनिटरी साम्राज्यवाद'
दुनिया के बहुत से लोगों को पश्चिमी देशों के लोगों की ये आदत अजीब लगती है. आख़िर पानी से बेहतर सफ़ाई होती है. और ये काग़ज़ के मुक़ाबले नरम भी ज़्यादा होता है.
एक दौर ऐसा भी था, जब प्राचीन यूनानी सेरैमिक के टुकड़ों से शौच के बाद सफ़ाई करते थे. वहीं, अमरीका पहुंचे शुरुआती प्रवासी शौच के बाद साफ़ करने के लिए, मक्के के ख़ाली भुट्टे का प्रयोग करते थे. बहुत से देशों के लोग शौच के बाद पानी का इस्तेमाल करते हैं.
यूरोपीय देश फ्रांस ने तो दुनिया को बिडेट का आविष्कार करके दिया. हालांकि ये यंत्र अब फ्रांस से विलुप्त हो रहा है. लेकिन, आज भी इटली, अर्जेंटीना और दूसरे देशों में इसका ख़ूब इस्तेमाल होता है. बसेम यूसेफ़ की बम गन फिनलैंड में आम है.
लेकिन, पश्चिमी देशों में ज़्यादातर लोग टिश्यू पेपर का ही इस्तेमाल करते हैं. ख़ास तौर से अमरीका और ब्रिटेन के लोग. और उनकी ये आदत कई देशों में प्रचलित हो गई है. मशहूर इतिहासकार बारबरा पेनर ने अपनी किताब बाथरूम में इसे सैनिटरी साम्राज्यवाद कहा है.
लेकिन, ज़्यादातर मुस्लिम देशों में हाजत के बाद पानी का ही प्रयोग होता है. क्योंकि इस्लाम की शिक्षा में साफ़-सफ़ाई के लिए पानी के प्रयोग की सलाह दी गई है.
हालांकि 2015 में तुर्की के धार्मिक मामलों के निदेशालय ने फ़तवा जारी किया था कि अगर पानी न हो तो मुस्लिम लोग हाजत के बाद टॉयलेट पेपर प्रयोग कर सकते हैं. वहीं, जापान में दोनों ही विकल्प शौचालयों में पाए जाते हैं.