बंगाल में NRC से ममता बनर्जी का साफ इंकार, कहा – यहाँ मेरी सरकार

ममता ने दावा किया कि अगर यह बिल कानून बन गया तो भारत के लोग 6 साल के लिए विदेशी नागरिक बन जाएँगे। "तो भारतीय, और खासकर कि बंगाली, 6 साल के लिए विदेशी नागरिक बन जाएँगे। ऐसे लोगों का आप 6 साल तक क्या करेंगे? और उसके बाद क्या होगा?"



पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कॉन्ग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी ने आज (मंगलवार, 22 अक्टूबर, 2019 को) पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizenship, NRC) लागू किए जाने की किसी भी तरह की संभावना से साफ़ इंकार कर दिया है। “मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ सारे सरकारी कर्मचारियों की मौजूदगी में यह कहती हूँ कि हमारा अपने राज्य में कोई NRC कवायद करने का इरादा नहीं है।” ममता सिलीगुड़ी शहर के पास उत्तर कन्या में राज्य सरकार के सचिवालय की उत्तर बंगाल शाखा में बोल रहीं थीं। वे वहाँ के प्रशासनिक बैठक को सम्बोधित कर रहीं थीं


इसी में उन्होंने आगे कहा, “अतः किसी डिटेंशन कैम्प के निर्माण का सवाल खड़ा ही नहीं होता। वह तो तब आएगा जब हम उसे बनाएँगे।” ममता बनर्जी ने असम की NRC का ठीकरा भी 1985 के असम एकॉर्ड (समझौते) के सर फोड़ते हुए कहा कि असम में NRC की कवायद हुई क्योंकि यह असम समझौते का हिस्सा था। “वे असम में ऐसी कवायद इसलिए कर पाए क्योंकि यह मुद्दा 1985 के असम एकॉर्ड का हिस्सा था, और इसलिए क्योंकि राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है।” उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि बंगाल में NRC की कवायद इसलिए नहीं होगी क्योंकि “यहाँ सरकार हम चलाते हैं।”


असम समझौता दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार और असम के दो संगठनों ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल असम गण संग्राम परिषद के नेताओं के बीच हुआ था। इन दोनों संगठनों ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ़्तारी और निर्वासन के लिए 6 साल (1979 से 1985) तक चले आंदोलन का नेतृत्व किया था।