'मैं समलैंगिक रिश्ते में हूं'.
इस बात को समाज के सामने स्वीकार करना दुती चंद के लिए कितना मुश्किल रहा होगा?
19 मई को इसी साल उन्होंने अपना यह सच दुनिया को बताया.
तब उनका सबसे कड़ा विरोध परिवार की उस सदस्य ने किया जिससे कभी प्रेरणा लेकर दुती चंद ने दौड़ना शुरू किया था. कभी कबड्डी की खिलाड़ी रहीं, बड़ी बहन सरस्वती चंद खुलकर अपनी बहन के समलैंगिक रिश्ते के ख़िलाफ़ बोलती नज़र आईं.
इस बात को अब चार महीने बीत चुके हैं. जुलाई के महीने में नपोली में आयोजित हुए वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में दुती चंद ने गोल्ड मेडल जीता.
अब वह ओलंपिक में क्वालीफ़ाई करने के लिए दोहा में 27 सितंबर को आयोजित होने जा रहे वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने जा रही हैं.
उनकी ज़िंदगी खेल के मैदान पर तो रफ़्तार लेती दिखाई दे रही है लेकिन क्या निजी रिश्तों की समस्या वहीं ठहरी हुई है?
समैंलिंगक रिश्ते के सामने आने के चार महीने बाद अब परिवार में क्या हालात हैं? क्या अब भी बहन आपसे नाराज़ हैं?
इसमें कोई शक नहीं कि मेरी बहन ने मेरे धावक बनने के सफ़र में अहम भूमिका निभाई. वह मुझे दौड़ने की प्रेरणा देती रही़. लेकिन, हर इंसान अलग होता है और उसकी इच्छाएं भी अलग-अलग होती हैं. काश की मेरी बहन ये समझ पाती.
अब मैं क्या करूं अगर मुझे एक लड़की से प्यार है. सरस्वती (बड़ी बहन) अब तक मुझे समझ नहीं पाई है. उसके साथ रिश्तों में थोड़ी दरार आ गई है लेकिन मुझे उम्मीद है कि घर के छोटे-मोटे झगड़ों की तरह एक दिन ये दरार भी शायद भर जाए.
हाल ही में जब आप वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड मेडल जीतीं थीं तो ख़बरें आईं कि आपके परिवार ने मिठाइयां बांटी हैं, इससे तो यही लगा कि अब दरारें भर चुकी हैं?
आपने सही कहा. दरअसल, मेरे खेल की जब बात आती है तो मेरा परिवार मेरी ढाल बनता है, मुझे समझता है, मेरी परेशानियों को दूर करने की कोशिश करता है. लेकिन, जब निजी ज़िंदगी में विश्वास और साथ की उम्मीद करती हूं तो वह कोना परिवार की ओर से ख़ाली दिखाई देता है.
ख़ासतौर पर बड़ी बहन तो बिल्कुल नहीं समझतीं. मेरे समलैंगिक रिश्ते को आज भी मेरा परिवार, मेरी बहन कोई भी अपनाना नहीं चाहता. उस कारण से रिश्तों में खिंचाव ज़रूर है.