श्रीनगर की डल झील में मोहम्मद सुल्तान दूनो की हाउसबोट पाँच अगस्त के बाद से ही एकांतवास में है.
राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से कश्मीर में पर्यटन की कमर टूट गई है.
अब पर्यटकों के लिए यात्रा संबंधी चेतावनी हटा ली गई है लेकिन स्थानीय लोगों को लगता है कि इससे हालात सामान्य नहीं हो जाएंगे.
वो कहते हैं, "पिछले दो महीनों से हमने एक रुपया भी नहीं कमाया. आप देख सकते हैं कि हाउसबोट ख़ाली हैं. मौजूदा हालात की वजह से ग्राहक यहां नहीं आ रहे हैं. केवल ख़ुदा ही जानता है कि हम इस मुश्किल वक़्त में कैसे ज़िंदा रहेंगे."
मोहम्मद सुल्तान कहते हैं, "हमें किसी भी तरफ़ से कोई मदद नहीं मिल रही है चाहे वो पर्यटन विभाग हो या कोई और. जहां तक चेतावनी हटा लेने की बात है, मैं इसका स्वागत करता हूं. अगर इससे कुछ असर पड़ेगा तो हम अपना जीवन चला सकेंगे. अगर हालात वैसे ही रहे तो हम जिंदा नहीं बचेंगे."
मोहम्मद सुल्तान ने बताया कि जब तक संचार व्यवस्था नहीं बहाल होती है, ये संभव नहीं है कि पर्यटन उद्योग में लगे लोग अपना कारोबार आसानी से चला पाएंगे.
मोहम्मद सुल्तान ने बताया कि जब तक संचार व्यवस्था नहीं बहाल होती है, ये संभव नहीं है कि पर्यटन उद्योग में लगे लोग अपना कारोबार आसानी से चला पाएंगे.
उन्होंने कहा कि चूंकि वे मरम्मत नहीं कर पा रहे हैं इसलिए ये भी आशंका है कि इनमें कुछ नावें डूब सकती हैं.
वो कहते हैं, "इस मौसम में हम अपनी हाउसबोट की मरम्मत करते हैं और हरेक नाव की मरम्मत के लिए एक से दो लाख रुपये की ज़रूरत पड़ती है. लेकिन मौजूदा हालात के कारण कमाई नहीं हो पाई, तो हम लोग कैसे मरम्मत करेंगे?"
डल झील में 900 से अधिक हाउसबोट हैं.
कश्मीर होटल एसोसिएशन के चेयरमैन मुश्ताक़ अहमद काहिया कहते हैं, "आप कश्मीर के होटलों को देखिए. सभी खाली पड़े हैं. ये नुक़सान ख़ुद सरकार ने किया है. मामूली घोषणा से कुछ नहीं होने वाला. कश्मीर में ज़मीनी हालात वो नहीं हैं जो सरकार बता रही है."
वो आगे कहते हैं, "सरकार को पहले हमारी भरपाई करनी चाहिए. पर्यटन उद्योग पूरी तरह नष्ट हो गया है. हमारे होटल ख़ाली हैं. उन्हें हमारे क़र्ज़ माफ़ करने चाहिए. अधिकांश कर्मचारी अपनी नौकरी गंवा चुके हैं. पर्यटन से सीधे या परोक्ष रूप से क़रीब सात लाख लोग जुड़े थे. वे सभी सड़क पर आ गए हैं."