पाँच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद आज यानी 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर की कई चीज़ें इतिहास बन जाएंगी.
अनुच्छेद 370 और 35ए भारत के 30 राज्यों में से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देते थे.
इनके हटने के साथ ही राज्य को प्राप्त विशेष दर्जा ख़त्म हो गया है.
साथ ही राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो हिस्सों में बाँटकर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, जो व्यवस्था आज से लागू हो रही है.
65 सालों से जम्मू और कश्मीर भारत के अंतर्गत ही एक स्वायत्त राज्य था. इसके कारण उसका अलग प्रशासन था और अलग वित्तीय, क़ानूनी प्रणाली थी जो राज्य से बाहर के लोगों को वहां की ज़मीन या संपत्ति ख़रीदने से रोकती थी.
साथ ही सभी सरकारी प्रतिष्ठानों और गाड़ियों में राज्य का एक लाल झंडा (तीन सफ़ेद पट्टियों और हल के निशान वाला) भारतीय तिरंगे के साथ लगा रहता था.
मोदी सरकार का मानना है कि ऐसे संवैधानिक प्रावधान न सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर को एक पर्यटन और निवेश स्थल के तौर पर विकसित होने में रुकावट पैदा कर रहे हैं बल्कि अलगाववादी भावना को भी भड़का रहे हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान को छद्म युद्ध के ज़रिए इन भावनाओं के इस्तेमाल का मौक़ा भी दे रहे हैं.
इस साल पाँच अगस्त को संसद में एक प्रस्ताव के ज़रिए इन प्रावधानों को ख़त्म कर दिया गया और अब राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में बँट चुका है.
अब वो लाल झंडा नहीं लगेगा सिर्फ़ भारतीय तिरंगा ही रहेगा. लेकिन सवाल अब भी वहीं है कि क्या ये फ़ैसला भारत प्रशासित कश्मीर की समस्या को हमेशा के लिए सुलझा देगा? साथ ही अब जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या बदलेगा.