भारत प्रशासित कश्मीर के विश्वप्रसिद्ध गुलमर्ग टूरिस्ट रिज़ॉर्ट में अब इक्का-दुक्का पर्यटक दिखने लगे हैं.
बाज़ार आंशिक रूप से बंद है लेकिन पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि आने वाले समय में पहले की तरह पर्यटक आना शुरू होंगे और उनका व्यवसाय चल पड़ेगा.
कुछ सैलानी ज़रूर पहुंचे हैं लेकिन इतने नहीं कि गुलमर्ग रिज़ॉर्ट की सड़क की वीरानी दूर हो सके.
चंद टूरिस्ट ज़रूर आते हैं और कुछ समय बिताकर लौट जाते हैं.
कोलकाता से आईं कोइनी घोष बीते गुरुवार को ही अपने परिजनों के साथ यहां पहुंची थीं. घोष परिवार ने छह महीने पहले कश्मीर यात्रा की योजना बना ली थी.
वो कहती हैं कि कश्मीर के बारे में सुनी बुरी बातें यहां पहुंचने पर ग़लत साबित हुईं.
उन्होंने कहा, "सुना था कि यहां लोगों को सीधे गोली मार दी जाती है और टॉर्चर किया जाता है. लेकिन यहां सब कुछ अलग है. कश्मीर के लोग हमें प्यार करते हैं. वे मददगार हैं. हम पहलगाम में थे और स्थानीय लोगों के स्वागत को देखकर ताज्जुब हुआ. ये वाक़ई बहुत गर्मजोशी वाला था. उन्होंने हर वक़्त हमें सुझाव दिए और हमारी मदद की. स्थानीय लोगों ने बताया कि बीते ढाई महीने में यहां पहुंचने वाले हम पहले पर्यटक हैं. हमारी यात्रा का पहला पड़ाव पहलगाम ही था. वहां कोई भी पर्यटक नहीं था."
कश्मीर पहुंचने पर कोइनी घोष का इंटरनेट से संपर्क टूट गया और अपने जन्मदिन पर वह दोस्तों-रिश्तेदारों की बधाइयां नहीं ले सकीं. वो कहती हैं, "इसके बावजूद बिना इंटरनेट के कुछ दिन गुज़ारना बढ़िया रहा."