पहले डूब, अब भूकंप: सरदार सरोवर के विस्थापितों पर दोहरी मार- ग्राउंड रिपोर्ट

बीता पखवाड़ा मध्यप्रदेश के धार ज़िले में रहने वाली चेतना सिंह के लिए एक बुरे सपने की तरह रहा है.


नर्मदा किनारे बसे एकलवारा गांव में रहनी वालीं चेतना का घर सरदार सरोवर बांध के बैकवॉटरस के पानी से धीरे-धीरे टूटता जा रहा है.



अपनी रसोई के पिछले दरवाज़े से नीचे जाती सीढ़ियों की ओर इशारा करते हुए वह कहती हैं, "उस रात सोने से पहले हमने देखा कि बांध का पानी हमारे घर के एकदम पास तक आ गया है. आधी रात तक हम चिंता में पड़े रहे. मैंने किचन के दरवाज़े के पास का सामान भी ख़ाली कर दिया."


"फिर किसी तरह डर के साये में हमें थोड़ी देर के लिए नींद आई. सुबह जब पाँच बजे मेरी आँख खुली और मैंने किचन के पीछे वाला दरवाज़ा खोला तो देखा कि पानी मेरे पैरों तक आ चुका है. सारी सीढ़ियाँ डूब चुकी हैं. यह देखते ही मैं घबरा गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. मेरी पड़ोसी भी सामने अपने डूबे हुए घर में खड़ी थी. मुझे देखकर वो भी रोने लगीं."


सुबह पाँच बजे अपने डूबते घरों में खड़ी दो महिलाओं के रोने का यह दृश्य आज के निमाड़ की एक चुभती हुई तस्वीर बयां करता है.