आपके व्हाट्सऐप मैसेज पर सरकार की नज़र क्यों है?

भारत सरकार ने सोशल मीडिया पर आने वाले मैसेजों पर नज़र रखने की योजना बनाई है. जबसे यह बात सामने आई है तभी से सोशल मीडिया यूजर्स और निजता के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता इस पर शक़ भरी निगाहों से देख रहे हैं.



इतना ही नहीं सोशल मीडिया चलाने वाली कंपनियों को भी इसमें कुछ ना कुछ ग़लत नज़र आ रहा है. टेक्नोलॉजी लेखक प्रशांतो के रॉय सरकार के इस क़दम पर अपने विचार रख रहे हैं.


भारत का सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अगले साल जनवरी से कुछ नए नियम जारी करने जा रहा है. इन नए नियमों की ज़द में वो कंपनियां आएंगी जो लोगों को मैसेज भेजने का मंच प्रदान करती हैं.


इन कंपनियों में कई सोशल मीडिया एप्स, वेबसाइट्स और कई ई-कॉमर्स कंपनियां भी शामिल हैं.


दरअसल इस फै़सले का मकसद फ़ेक न्यूज़ को रोकना बताया गया है, जिसकी वजह से साल 2017 और 2018 के बीच 40 कई अफ़वाहें फैली और इसके चलते 40 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई.



फ़ेक न्यूज़ से हिंसा


इन फ़ेक न्यूज़ के पीछे ग़लत तथ्य और जानकारियां होती हैं, लोग इन मैसेजों को देखकर गुस्से में आ जाते हैं और कई मौकों पर भीड़ किसी एक शख़्स पर टूट पड़ती है.


ये तमाम मैसेजे कुछ ही घंटों में हज़ारों और लाखों मोबाइलों पर फॉरवर्ड किए जाते हैं और इन्हें रोक पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है.


साल 2018 के एक मामले में तो एक सरकारी कर्मचारी ही भीड़ की हिंसा के शिकार हो गए थे, उन्हें सरकार ने गांवों में जाकर सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफ़वाहों पर यक़ीन ना करने की घोषणा करने का काम दिया था.


पिछले दो साल के भीतर सोशल मीडिया से ग़लत जानकारी फैलने की वजह से भीड़ की हिंसा के 50 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं.


इन सोशल मीडिया एप्स में फ़ेसबुक, यूट्यूब, शेयरचैट और स्थानीय भाषाओं में चलने वाली अन्य एप्स शामिल हैं.


व्हाट्सऐप पर नज़र


लेकिन जिस एप्स से सबसे ज़्यादा फ़ेक न्यूज़ फैली वह है व्हाट्सऐप. भारत में व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं.


पिछले साल जब अफ़वाहों के चलते भीड़ की हिंसा के कई मामले सामने आए तो सरकार ने व्हाट्सऐप से अपील की कि वह इन ग़लत सूचनाओं को फ़ैलने से रोकने के इंतजाम करे.


इसके बाद व्हाट्सऐप ने कई कदम भी उठाए. जिसमें किसी मैसेज को फॉरवर्ड करने की लिमिट तय करना और फॉरवर्ड मैसेज के ऊपर 'फॉरवर्ड' लिखकर बताना शामिल हैं.


हालांकि सरकार का मानना है कि व्हाट्सऐप की तरफ से उठाए गए ये क़दम नाकाफ़ी हैं और उन्हें व्हाट्सऐप मैसेजों पर खुद नज़र रखनी होगी, ठीक जैसे चीन अपने देश में करता है.


इसके साथ ही सरकार चाहती है कि व्हाट्सऐप किसी मैसेज या वीडियो के ओरिजनल सेंडर का भी पता लगाए और यह जानकारी सरकार को दे.


भारत के अटर्नी जनरल ने इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा, ''अगर ये सोशल मीडिया कंपनियां जांच एजेंसियों के साथ अपना डेटा को डीक्रिप्ट नहीं कर सकतीं, खासतौर पर तब जबकि वो मामले देशद्रोह, पोर्नोग्राफ़ी या अन्य अपराधों से जुड़ें हों तो इन कंपनियों को भारत में व्यापार करना ही नहीं चाहिए.''


एक सरकारी अधिकारी ने मुझसे ऑफ़ द रिकार्ड कहा, ''देखिए, ये सोशल मीडिया कंपनियां हमें रोकने के लिए कोर्ट में भी चली गईं.''


उन्होंने यह भी बताया कि चीन में ऑनलाइन निगरानी का स्तर बहुत ज़्यादा है. उनका कहना काफ़ी हद तक ठीक भी था क्योंकि चीन में प्रचलित ऐप वीचैट पर कई बार वो शब्द अपने आप ग़ायब हो जाते हैं जिन पर प्रतिबंध लगा हुआ है.