अमित शाह जी कम से कम एक बार संविधान पढ़ने की कोशिश करें: ओवैसी


भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में एनआरसी के मुद्दे पर आयोजित जनजागरण सभा में कहा कि एक भी घुसपैठिए को देश में रहने नहीं देंगे, चुन चुनकर निकालेंगे.


हालांकि एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी पहले भी ऐसा कहती आई है और असम में उसने इसे लागू करते हुए इसकी अंतिम लिस्ट भी जारी कर दी है, जिसके चलते क़रीब 19 लाख लोगों की नागरिकता छिनने का ख़तरा मंडरा रहा है.


इसमें दशकों से रह रहे हिंदू परिवार के लोग भी शामिल हैं, जिसको लेकर बीजेपी को काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. इन आलोचनाओं को देखते हुए बीजेपी सिटिजन अमेंडेमेंट बिल को पास कराने की कोशिश कर रही है. बीजेपी अपने बचाव में कहती रही है कि असम में एनआरसी का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है.


ये विधेयक नागरिकता क़ानून 1995 के प्रावधानों को बदल देगा और अगर यह क़ानून बन गया तो अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाएगा.


मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. विधेयक में प्रावधान है कि ग़ैर-मुस्लिम समुदायों के लोग अगर भारत में छह साल गुज़ार लेते हैं तो वे आसानी से नागरिकता हासिल कर पाएंगे. पहले ये अवधि 11 साल थी.