अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पर नौ नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले से विवादित ज़मीन पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ़ कर दिया है. अब अयोध्या में इसे लेकर काफ़ी हलचल है.
विश्व हिंदू परिषद के नेता और दो बार सांसद रहे रामविलास वेदांती कहते हैं, ''हम लोग जब भगवान राम के जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर बनाएंगे तो अयोध्या की कायापलट हो जाएगी. आप इसके बाद नया अयोध्या देखेंगे. यहां की बुनियादी सुविधाओं में भी तब्दीली आएगी.''
राम भक्त और पुजारी छबील शरण कहते हैं कि उनसे अब इंतज़ार नहीं हो रहा. उन्हें लगता है कि जल्द ही राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाए. शरण को लगता है कि राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या दुनिया का स्वर्ग होगा.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अयोध्या में लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. पुजारियों से लेकर आम लोगों में भी उम्मीद बढ़ी है. भगवा वस्त्र धारण किए एक राम भक्त ने कहा, ''मैं चाहता हूं कि अयोध्या भारत का सांस्कृतिक केंद्र बने और यहां हिंदुत्व से जुड़ी चीज़ें पढ़ाई जाएं.''
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वेदांती भी कहते हैं कि अगर आप अयोध्या के खंडहरों को देखें तो यहां के समृद्ध अतीत का अहसास होता है. वेदांती चाहते हैं कि अतीत का 'खोया गौरव' वापस आए.
कई लोगों का लगता है राम मंदिर के लिए बहुत लंबे वक़्त तक इंतज़ार करना पड़ा. छबील शरण बच्चों की तरह बेसब्र दिखे. उन्होंने कहा कि वो मंदिर के लिए काम करना चाहते हैं.
वो कहते हैं, ''हमने 25 सालों तक इंतज़ार किया. मंदिर आंदोलन जुड़े कई लोग अब इस दुनिया में नहीं रहे. सौभाग्यवश हमलोग ज़िंदा हैं और आख़िरकार हमारा सपना पूरा हुआ.''
विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने राम मंदिर को लेकर आंदोलन 1984 में शुरू किया था. यह आंदोलन बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर बनाने को लेकर था. इस आंदोलन में शामिल लोगों का तर्क था कि बाबरी मस्जिद राम के जन्मस्थान पर प्राचीन मंदिर तोड़कर बनाई गई थी.
इस मंदिर आंदोलन में तब और तेज़ी आई जब बीजेपी भी शामिल हो गई. आंदोलन का नेतृत्व बीजेपी के तत्कालीन प्रमुख लालकृष्ण आडवाणी ने अपने हाथों में ले लिया था और आख़िरकार 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद तोड़ दी गई थी.