कृतिकार की 235 वीं गोष्ठी चेम्बर भवन के भैरो सिंह शेखावत सभागार में सम्पन्न हुई


कृतिकार की 235 वीं गोष्ठी चेम्बर भवन के भैरो सिंह शेखावत सभागार में सम्पन्न हुई । श्रीमती शोभा चन्दर ने साहित्य संध्या का आगाज़ लयबद्ध  सरस्वती वंदना हे माँ अपने चरणों में ये नमन मेरा स्वीकार करो से की गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ


कृतिकार की 235 वीं गोष्ठी चेम्बर भवन के भैरो सिंह शेखावत सभागार में सम्पन्न हुई । श्रीमती शोभा चन्दर ने साहित्य संध्या का आगाज़ लयबद्ध  सरस्वती वंदना हे माँ अपने चरणों में ये नमन मेरा स्वीकार करो से की गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री मुकुट सक्सेना ने की गोप कुमार मिश्र और वरुण चतुर्वेदी विशिष्ठ अतिथि के रूप में मंचासीन रहे


काव्यगोष्ठी का आगाज़ मुकुट सक्सेना के गीत एक रीतापन है यँहा और मैं हूँ 


ग़ज़ल एक तीली को जला और उजाला कर दे खूब तालियां बटोरी 


वरुण चतुर्वेदी का गीत दर्द बाँटना अब तो आखिर बन्द करे ,शोभा चन्दर का गीत तुम बिन आई आज दीवाली दीप नही दिल जलता खाली ,अयूब खान बिस्मिल का कलाम जमी मिसले कमर जब जगमगाती है दीवाली में ,चन्दर प्रकाश चन्दर की ग़ज़ल अपने इस रेशमी आँचल में छुपा ले मुझको 


गर्दिशे दौर के हाथों से बचाले मुझको 


डॉ सुशीला शील के श्रृंगार गीत आपने जब छुआ तन अगन सा हुआ 


मन मे हलचल मची और ग़ज़ल हो गई 


ने समा बांध दिया एजाज उल हक शिहाब की ग़ज़ल आइए मिल कर मिटा डाले स्याही जुल्म की गोप कुमार मिश्र हरे हरे कदली पत्तो पर मनुहारी ज्योनार


रिश्ते नाते देव तुल्य मेजबान घर द्वार 


डॉ निकिता त्रिवेदी की ग़ज़ल वहम ने खड़ी कर दी दीवारें वरना बहुत प्यार था हम में तकरार से पहले 


संतोष सन्त आईने को बदगुमानी हो गई 


या मेरी सूरत पुरानी हो गई 


अफ़ज़ल मयस्सर नही एक  पल चैन मुझको 


संतोष चारण चिड़िया होना आसान नही है 


दिवा मेहता ,विवेक श्रीवास्तव, रेणु जुनेजा, के एल भृमर, शिवचंद जैन ,विनय शर्मा,अरविंद शर्मा, सागर सैन, आहत ,हुकुम सिंह जमीर,सोहन कुमार सोहन की रचनाएं भी शानदार रही


 


साहित्यकार श्री मुकुट सक्सेना ने की गोप कुमार मिश्र और वरुण चतुर्वेदी विशिष्ठ अतिथि के रूप में मंचासीन रहे


काव्यगोष्ठी का आगाज़ मुकुट सक्सेना के गीत एक रीतापन है यँहा और मैं हूँ 


ग़ज़ल एक तीली को जला और उजाला कर दे खूब तालियां बटोरी 


वरुण चतुर्वेदी का गीत दर्द बाँटना अब तो आखिर बन्द करे ,शोभा चन्दर का गीत तुम बिन आई आज दीवाली दीप नही दिल जलता खाली ,अयूब खान बिस्मिल का कलाम जमी मिसले कमर जब जगमगाती है दीवाली में ,चन्दर प्रकाश चन्दर की ग़ज़ल अपने इस रेशमी आँचल में छुपा ले मुझको 


गर्दिशे दौर के हाथों से बचाले मुझको 


डॉ सुशीला शील के श्रृंगार गीत आपने जब छुआ तन अगन सा हुआ 


मन मे हलचल मची और ग़ज़ल हो गई 


ने समा बांध दिया एजाज उल हक शिहाब की ग़ज़ल आइए मिल कर मिटा डाले स्याही जुल्म की गोप कुमार मिश्र हरे हरे कदली पत्तो पर मनुहारी ज्योनार


रिश्ते नाते देव तुल्य मेजबान घर द्वार 


डॉ निकिता त्रिवेदी की ग़ज़ल वहम ने खड़ी कर दी दीवारें वरना बहुत प्यार था हम में तकरार से पहले 


संतोष सन्त आईने को बदगुमानी हो गई 


या मेरी सूरत पुरानी हो गई 


अफ़ज़ल मयस्सर नही एक  पल चैन मुझको 


संतोष चारण चिड़िया होना आसान नही है 


दिवा मेहता ,विवेक श्रीवास्तव, रेणु जुनेजा, के एल भृमर, शिवचंद जैन ,विनय शर्मा,अरविंद शर्मा, सागर सैन, आहत ,हुकुम सिंह जमीर,सोहन कुमार सोहन की रचनाएं भी शानदार रही