अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के ज़रिए जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यपूर्व के देशों में ईरान के पास सबसे अधिक मिसाइलें हैं.
सेना के लिए ख़ुफ़िया जानकारी मुहैया कराने वाले संगठन डिफ़ेन्स इंटेलिजेंस एजेंसी ने मंगलवार को "ईरान मिलिटरी पावर" नाम की एक रिपोर्ट जारी की है.
इस रिपोर्ट के अनुसार रणनीतिक तौर पर ख़ुद को अमरीका, इसराइल और सऊदी अरब से ताक़तवर बनाने के लिए ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों को अपने हथियारों के ज़ख़ीरे में शामिल किया है.
रिपोर्ट के अनुसार ईरान पर पाबंदियां लगाए जाने के कारण वो एक आधुनिक एयरफ़ोर्स बनाने में कामयाब नहीं हो सका है लेकिन उसने अपने हथियारों को बढ़ाने में काफ़ी निवेश किया है.
डिफ़ेन्स इंटेलिजेंस एजेंसी का कहना है कि "ईरान ने विस्तृत मिसाइल निर्माण कार्यक्रम अपनाया है और इलाक़े में हथियारों की संख्या कम करने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों के बावजूद वो अपने हथियार लगतार बढ़ा रहा है."
रिपोर्ट में क्या कहा गया है ?
मध्यपूर्व के देशों की तुलना में ईरान के पास फ़िलहाल सबसे अधिक मिसाइलें हैं. (ईरान मिलिटरी पावर, पेज नंबर 30.)
ईरान के पास क्लोज़ रेंज, कम दूरी तक मार करने वाली, मध्यम दूरी तक मार करने वाली और लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. ये मिसाइलें ईरान की सीमा से 2,000 किलोमीटर दूरी तक सटीक मार करने में सक्षम हैं. साथ ही वो लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइलें भी बना रहा है जो कम ऊंचाई पर दाग़ी जा सकती हैं और कई दिशाओं से एक साथ के ख़तरे को मिटा सकती हैं.
ईरान से सटे दक्षिणी समुद्र में उसने कोस्टल डिफ़ेन्स क्रूज़ मिसाइलें तैनात की हैं जो 300 किलोमीटर की दूरी से सैन्य बेड़े के साथ-साथ किसी भी जहाज़ को उड़ा सकती हैं.
ईरान ने समंदर के भीतर कम से कम 5,000 बारुदी सुरंग लगाई हैं जो दबाव महसूस करने पर ऐक्टिव हो जाती हैं. छोटी नावों के इस्तेमाल के ज़रिए ये बारुदी सुरंगे पारस की खाड़ी और होर्मूज़ जलडमरुमध्य में लगाई जा सकती हैं.
रिपोर्ट के अनुसार 1979 में एक इस्लामी क्रांति के बाद ईरान अस्तित्व में आया जिसके बाद सुप्रीम लीडर को रक्षा, राजनीति और धार्मिक मामलों से जुड़े सभी मामलों का अध्यक्ष माना गया.
इससे पहले 1953 में तख्तापलट के बाद सत्ता में आए मोहम्मद रेज़ा शाह ने देश की सेना को विकसित करने का काम किया. साल 1960 से 1970 के बीच ईरान ने अमरीका से कई हथियार ख़रीदे, जिनमें एफ़-4, एफ़-5, एफ़-14 विमान, एएच-1 कोबरा अटैक हेलिकॉप्टर, एम-60 टैंक और कई मिसाइलें शामिल हैं.
ईरान ने ब्रिटेन, फ्रांस और सोवियत संघ से भी हथियार ख़रीदे.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान ने उत्तरी कोरिया और चीन से भी हथियार ख़रीदे थे.