बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की ख़बरें सामने आते ही इंटरनेट पर लोगों को अपनी भावनाएं ज़ाहिर करने एक नया हैशटेग मिल जाता है.
हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की ख़बर सामने आने के बाद भी ऐसा ही हुआ.
ये ख़बर आते ही ट्विटर पर एकाएक कई हैशटैग वायरल होने लगे.
हज़ारों-हज़ार लोगों ने इस हैशटैग के साथ ट्वीट शुरू कर दिया.
हर बलात्कार बस एक आँकड़ा
भारत में बलात्कार की हर घटना साल-दर-साल काग़ज के पन्नों में दर्ज होते आँकड़ों में शामिल हो जाती है.
बेगुनाह पीड़िताओं के साथ हुए जु़ल्म की कहानी एक हैशटैग में सिमट कर रह जाती है.
ऐसे में हम धीरे-धीरे एक ऐसे समाज के रूप में उभर रहे हैं जो कि प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ने की जगह पिछड़ता हुआ दिख रहा है.
हमने अपनी बच्चियों को गुड टच की शिक्षा दी. लेकिन ऐसा करके भी हम अपनी बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रहे है.
भोग की वस्तु नहीं हैं महिलाएं
मैं मानती हूं कि हमें अपने समाज के पुरुषों को महिलाओं की शारीरिक बनावट के बारे में समझाने की ज़रूरत है.
हमें अपने पुरुषों को ये बताने की ज़रूरत है कि महिलाएं सिर्फ एक माँ, बहन और पत्नी नहीं हैं. बल्कि, वे खुद में एक जीती-जागती शख्सियत हैं. और उन्हें वैसे ही देखे जाने की ज़रूरत हैं.
उन्हें ये बताए जाने की ज़रूरत है कि महिलाएं भोग की वस्तु नहीं हैं.
मेरा मन इस बात को मानने को तैयार ही नहीं होता है कि जिस देश में लक्ष्मी, दुर्गा और तमाम दूसरी पौराणिक महिलाओं की देवियों के रूप में पूजा की जाती है.
उन्हें पुरुष देवताओं के साथ बराबरी की जगह दी जाती है. मंदिर में विशेष स्थान दिया जाता है. और पुरुष समाज भी बड़े श्रद्धा भाव के साथ इन देवियों की पूजा करता है.
ऐसे में इन्हीं देवियों के इंसानी स्वरूप को अपने ही चार-दीवारी में और अपने ही बिस्तर पर अपने इसी पुरुष समाज की ओर से इतने जुल्मों-सितम बर्दाश्त क्यों करने पड़ते हैं.
क्या रेप के डर से घर में बैठ जाएं महिलाएं?
हैदराबाद में रेप का शिकार होने वालीं महिला एक पढ़ी लिखी युवती थीं जो कि उस रोज़ हर रोज़ की तरह अपने काम से बाहर गई थीं. इसके बाद बर्बर तरीके से उसका रेप और हत्या की गई.
लगभग इसी समय एक अन्य शहर में एक बच्ची अपने जन्मदिन पर मंदिर जाती है और उसके ही सहपाठी उसका बलात्कार करके उसकी हत्या कर देते हैं.
हम उनके कपड़ों और घर से बाहर निकलने के समय के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहरा सकते हैं.
ये ख़बरें पढ़कर मेरा खून खौल उठता है.
एक नागरिक होने के नाते मैं ज़्यादा से ज़्यादा सोशल मीडिया पर जाकर अपना गुस्सा व्यक्त कर सकती हूं.