राजधानी में शायद लोगों की संवेदना भी मर गई है। शनिवार देर रात दिल्ली गेट के पास हुए हादसे में घायल तीनों लड़के सड़क पर तड़पते रहे। बजाय मदद करने के किसी ने उनके मोबाइल ही उड़ा लिए। एक राहगीर ने इतना जरूर किया कि घायलों को सड़क से उठाकर फुटपाथ पर एक के ऊपर एक लिटा दिया।
परिजनों का आरोप था कि घटनास्थल से महज 300 मीटर दूर एलएनजेपी अस्पताल की इमरजेंसी थी। यदि समय पर तीनों को अस्पताल पहुंचाया जाता तो उनकी जान बच सकती थी। सड़क से गुजर रहे एक युवक ने अपनी स्कूटी रोकी और तीनों को एक ऑटो में डालकर अस्पताल पहुंचाया।
हालांकि, युवक को बाद में पता चला कि तीनों लड़के उसके पड़ोसी हैं। अस्पताल पहुंचने में करीब 25 मिनट लग गए, जहां ले जाते ही तीनों को मृत घोषित कर दिया गया। मोहम्मद साद के चाचा रहीसुद्दीन ने बताया कि जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां उनके भतीजे के मोबाइल का कवर पड़ा मिला, जबकि मोबाइल गायब था।
बाकी लड़कों के मोबाइल भी नहीं मिले हैं। घायलों को अस्पताल ले जाने वाले रिजवान नामक युवक ने बताया कि वह स्कूटी से लक्ष्मीनगर से तुर्कमान गेट लौट रहा था। हादसे को देखकर वह रुका तो उसने देखा कि सड़क पर काफी दूर तक खून फैला हुआ था। वहां एक स्कूटी टूटी पड़ी थी।
तीनों लड़कों को किसी ने हाईमास्ट पोल के पास एक के ऊपर एक लिटाया हुआ था। उसने देखा तो हमजा की सांस चल रही थी। फौरन उसने एक ऑटो को रुकवाया और तीनों को अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
घटनास्थल पर फुटपाथ पर करीब 20 फुट की दूरी पर टायर के रगड़ने की निशान हैं। ऐसा लगता है कि वह किसी बड़े वाहन के निशान हैं। रिजवान ने आशंका जताई कि टक्कर मारने के बाद शायद आरोपी वाहन चालक ने अपनी गाड़ी रोककर तीनों को देखा और उसने ही तीनों को फुटपाथ पर लिटाया और फरार हो गया।
परिजनों का आरोप था कि पुलिस जानबूझकर घटनास्थल की फुटेज नहीं दिखा रही है। ओसामा के ताऊ गुलजार अहमद ने बताया कि दिल्ली गेट पर अक्सर पीसीआर वैन ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों या किसी संदिग्ध का पीछा करती है।
तीनों लड़कों ने चूंकि हेलमेट नहीं लगाया हुआ था। इसलिए शायद पुलिस की गाड़ी ने इनका पीछा किया और यह हादसे का शिकार हो गए। परिजनों ने मांग की है कि मामले की जांच कराई जाए और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए।