सरकार ने तीन सालों में 391 अफगानी और 1595 पाकिस्तानों की दी नागरिकता

देश में जहां एक तरफ नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। वहीं, गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को संसद में जानकारी दी कि पिछले तीन सालों (2016-18) के बीच 391 अफगानी और 1,595 पाकिस्तानी प्रवासियों को नागरिकता दी गई है। 


 

सांसद किरोड़ी लाल मीणा के एक सवाल के जवाब में, राय ने राज्यसभा में बताया कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदुओं और सिख शरणार्थियों से संबंधित आंकड़ों को केंद्रीय रूप से बनाए नहीं रखा गया था।

राय ने लिखित जवाब में कहा कि ऑनलाइन उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों (2016 से 2018) के दौरान 391 अफगानी और 1,595 पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि 2019 में, 40 अफगानी और 712 पाकिस्तानी प्रवासियों को छह दिसंबर तक भारतीय नागरिकता दी गई है।

राय ने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले सिख, हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई सहित अल्पसंख्यक समुदायों के प्रवासियों के नागरिकता डाटा को ऑनलाइन शामिल करने का प्रावधान 2018 में पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि उसके बाद के आंकड़ों के मुताबिक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के 927 सिखों और हिंदुओं को भारतीय नागरिकता दी गई है।

संसद में पास किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 के अनुसार बिना दस्तावेज के भारत में रहने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों, पारसियों, ईसाइयों, जैन और बौद्धों के लिए अवैध प्रवासियों की परिभाषा में संशोधन करना है। विधेयक के अनुसार, इन समुदायों के लोगों को छह साल में भारतीय नागरिकता दी जाएगी और कट-ऑफ तारीख 31 दिसंबर, 2014 है।

सरकार के मुताबिक, मुस्लिम बहुल तीन देशों के ये अल्पसंख्यक समुदाय उनके देश में उनके खिलाफ हो रहे उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आ रहे हैं। कांग्रेस ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह देश के संविधान और धर्मनिरपेक्ष लोकाचार के खिलाफ है क्योंकि यह नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार बना रहा है।