उत्तर प्रदेश होमगार्ड ड्यूटी में घोटाला कैसे किया गया


उत्तर प्रदेश के दो ज़िलों में होमगार्ड जवानों की फ़र्ज़ी तैनाती दिखाकर सरकारी पैसा हड़पने के आरोप में अब तक नौ अधिकारियों की गिरफ़्तारी हो चुकी है और कई लोग अभी भी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं.


लेकिन बताया जा रहा है कि इस विभाग में भ्रष्टाचार का ये खेल, दो ज़िलों तक ही सीमित नहीं है और न ही ड्यूटी में हेर-फ़ेर तक, बल्कि इसका दायरा काफ़ी व्यापक है और ये पिछले कई साल से होता चला आ रहा है.


क़रीब दो हफ्ते पहले नोएडा में होमगार्ड विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से होमगार्ड जवानों की 'ड्यूटी का खेल' सामने आया.


पता चला कि थानों में होमगार्डों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दर्ज कराई जाती थी जबकि वास्तव में भेजे गए जवानों की संख्या इससे काफ़ी कम होती थी. बढ़े हुए जवानों के वेतन भुगतान की राशि का अधिकारी बंदरबांट कर लेते थे.


मामला संज्ञान में आते ही पांच अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई और होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने राज्य के सभी ज़िलों में इस तरह की अनियमितता की जांच के आदेश दे दिए.


लेकिन उसके अगले ही दिन यानी 18 नवंबर को नोएडा के ज़िला कमांडेंट होमगार्ड के दफ़्तर में उस कमरे में आग लग गई जहां इस कथित घोटाले से संबंधित दस्तावेज़ रखे हुए थे.


व्हिसलब्लोअर पर ही आरोप


 कथित तौर पर आग लगाने वाले प्लाटून कमांडर राजीव कुमार को जब पुलिस ने गिरफ़्तार किया तो वो ख़ुद भी हैरान रह गई कि दस्तावेज़ों को जलाने के पीछे वही व्यक्ति है जिसने सबसे पहले कथित घोटाले की जानकारी दी थी.


नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण बताते हैं, "इसी साल जुलाई महीने में राजीव कुमार ने इस घोटाले के बारे में लिखित शिकायत दी थी जिसके आधार पर विभागीय जांच कराई गई और दोषी पाए गए लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करके उन्हें गिरफ़्तार किया गया. सीसीटीवी फ़ुटेज के आधार पर राजीव कुमार को दस्तावेज़ जलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है."


इससे पहले बीस नवंबर को नोएडा पुलिस ने इसी मामले में पांच लोगों को गिरफ़्तार किया था जिनमें डिविज़नल कमांडेंट राम नारायण चौरसिया और असिस्टेंट कमांडेंट सतीश चंद्र भी शामिल थे. चौरसिया साल 2017 से साल 2019 तक नोएडा में होमगार्ड कमांडेंट के पद पर रह चुके हैं.