कोरोना से महिला की मौत, पति और बेटे को आइसोलेशन वार्ड में नहीं मिली जगह


मुंबई में कोरोना वायरस के मरीजों के परिवारजनों और रिश्तेदारों के लिए न तो टेस्ट कराना आसान है और न ही अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में जगह ही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसने बीएमसी और प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। मरीज के रिश्तेदार आइसोलेशन और जांच के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काटते रहे और आखिर में घर के लिए पैदल ही रवाना हो गए। 


अब सात सदस्यों को 200 स्क्वॉयर फीट के घर में एकांतवास में रखा गया है। यह जगह आइसोलेशन के लिए काफी कम है। शनिवार को मुंबई में जिस 40 साल की संक्रमित महिला की मौत हुई थी उनके ऑटो रिक्शा ड्राइवर पति और बेटे को न तो आइसोलेशन वार्ड में जगह मिली और न ही घर जाने के लिए एबुलेंस। मजबूरी में उन्हें पैदल ही जाना पड़ा।

नमूने लेने में लगे दो दिन
संक्रमित महिला की शनिवार को केईएम अस्पताल में मौत हुई थी लेकिन उनके 42 साल के पति और 20 साल के बेटे सहित पांच रिश्तेदारों के नमूने सोमवार को लिए गए। ऐसा तब हुआ जब मरीज के करीबी संपर्कों को हाई रिस्क वर्ग में रखते हुए उन्हें तुरंत आइसोलेट किया जाता है। उनके स्वैब नमूने लेने के बावजूद स्वास्थ्य अधिकारी उन्हें 14 दिनों के लिए अस्पताल में क्वारांटाइन (एकांतवास) के लिए नहीं भेज पाए।

महिला में नहीं मिले कोरोना के लक्षण
महिला को शुक्रवार को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद स्थानीय क्लिनिक लाया गया। डॉक्टर ने जांच करके दवाई दी लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद उन्हें जोगेश्वरी में बीएमसी के ट्रॉमा अस्पताल लाया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि वह कोरोना संदिग्ध लग रही हैं लेकिन आगे की जांच के लिए उन्हें परेल स्थित केईएम अस्पताल भेज दिया गया।

किसी कोरोना मरीज के संपर्क में नहीं आई थी महिला
शनिवार दोपहर को केईएम अस्पताल पहुंचते समय महिला काफी हांफ रही थी। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। शाम को उनकी मौत हो गई। मरने से पहले डॉक्टर ने माइक्रोबयॉलजी विभाग में गले का स्वैब नमूना भेजा था। जिससे महिला को कोरोना पॉजिटिव होने की बात पता चली। हालांकि वह न तो विदेश यात्रा पर गई थी और न ही किसी कोरोना मरीज के संपर्क में ही आई थीं


परिवार को भेजा कस्तूरबा अस्पताल
बीएमसी का दावा है कि महिला के संपर्क में आने वाले 15 लोगों को होम क्वारांटाइन (एकांतवास) में भेजकर उनके नमूने लिए गए हैं। वहीं महिला के पति ने इस दावे को खारिज किया है। उनका कहना है कि डॉक्टरों ने उन्हें एंबुलेंस से कस्तूरबा अस्पताल भेजकर आइसोलेशन में भर्ती होने को कहा। हालांकि जब वह अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने पहले महिला के कोरोना से मौत की पुष्टि वाले कागज मांगे। डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं इसलिए किसी और अस्पताल में जाएं।

पैदल ही पहुंचे घर
इसके बाद परिवार ने वापस घर जाने का फैसला किया लेकिन उनके पास घर जाने का कोई साधन नहीं था। इसलिए वे पैदल ही चल पड़े। जब इस मामले में बीएमसी के उप कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर दक्ष शाह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे पहले उस परिवार का विवरण देखना होगा।