AIIMS प्रशासन अपने बयान से पलटा, पहले नर्सिंग अफसर की बताई थी ट्रेवल हिस्ट्री अब हल्द्वानी रुड़की के मरीजों से बताया संक्रमण

कोरोना वायरस COVID-19 महामारी का संक्रमण पूरे विश्व मे फैला हुआ है और डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पुलिस, सफाई कर्मी आदि कोरोना वारियर्स इस संकट से फ्रंट लाइनर्स बन कर जूझ रहे हैं। लेकिन इस महामारी के दौर में भी उत्तराखण्ड के ऋषिकेश स्थित AIIMS की कार्यप्रणाली व बयानबाजी पर सवाल उठ रहे हैं।


बता दें कि AIIMS ऋषिकेश का प्रशासन अपने ही बयान से पलट गया है। रविवार को AIIMS ऋषिकेश के एक नर्सिंग स्टाफ अफसर कोरोना वायरस COVID-19 संक्रमित मिला था। जबकि पूरे ऋषिकेश व AIIMS ऋषिकेश में तब तक कोई संक्रमित नहीं था।


जिसके बाद AIIMS प्रशासन ने बयान जारी कर नर्सिंग अफसर की ट्रेवल हिस्ट्री होना बताया था और AIIMS ऋषिकेश से संक्रमण फैलने से पल्ला झाड़ लिया था।


लेकिन आज AIIMS निदेशक ने बयान जारी कर हल्द्वानी व रुड़की के मरीज से कोरोना संक्रमण फैलने की बात कही है। AIIMS ऋषिकेश प्रशासन जिस तरह से अपने बयान से पलट रहा है इससे AIIMS के डॉक्टर “डॉक्टर कम नेता ज्यादा” लग रहे हैं।



अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में भर्ती कोरोना वायरस कोविड 19 संक्रमित हेल्थ केयर वर्कर की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। पेसेंट का विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी आइसोलेशन वार्ड में सघन उपचार चल रहा है। एम्स प्रशासन ने कोविड संक्रमित इस मरीज के संपर्क में आए सभी 69 लोगों की कोविड स्क्रीनिंग में जांच की है,जिनमें से अधिकांश की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जबकि पांच की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।


एम्स की ओर से सोमवार को जारी बयान में संकायाध्यक्ष अस्पताल प्रशासन प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि कोविड 19 संक्रमित एम्स के यूरोलॉजी विभाग के आईपीडी वार्ड के नर्सिंग ऑफिसर की स्थिति में धीरे धीरे सुधार हो रहा है, उसे आइसोलेशन वार्ड में चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित उक्त हेल्थ केयर वर्कर बीते मार्च माह में एक से पांच तारीख में बनारस की पांच दिन की यात्रा पर गया था व 16 से 18 मार्च को गंगानगर ऋषिकेश में अपने मित्र से मिलने से गया था। संभवत: वह इसी यात्रा के दौरान किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है।


प्रो. मिश्रा ने बताया कि संक्रमित हेल्थ केयर वर्कर इस यात्रा के बाद से एम्स अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग व अन्य विभागों से जुड़े जिन लोगों के संपर्क में आया है उन सभी लोगों की कोविड 19 स्क्रीनिंग ओपीडी में जांच व सैंपलिंग की गई है। साथ ही उसके गंगानगर में एक मित्र के भी संपर्क में आने की बात सामने आई है, उस व्यक्ति का भी कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में सैंपल लिया गया है। इन सभी लोगों को प्राइमरी कांट्रेक्ट व सेकेंड्री कांट्रेक्ट के तौर पर ग्रुप में बांटा गया था। उन्होंने बताया कि इनमें से 64 लोगों के नमूनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जबकि पांच लोगों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। उन्होंने बताया कि यूरोलॉजी आईपीडी वार्ड को कोरोंटाइन वार्ड घोषित कर दिया गया है, साथ ही इस वार्ड से जुड़े सभी सीनियर व जूनियर रेजिडेंट्स चिकित्सकों,नर्सिंग स्टाफ, अन्य स्टाफ व मरीजों को ऐहतियातन कोरोंटोइन कर दिया गया है।

अब AIIMS ऋषिकेश का 29 अप्रैल के बयान देखें, हल्द्वानी व रुड़की के मरीजों से फैला कोरोना बताया–


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि कोविड 19 के संक्रमणकाल में भी एम्स ऋषिकेश कोरोना वायरस के अलावा अन्य तरह के गंभीर मरीजों को भी चिकित्सकीय सेवाएं दे रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित रोगियों से उनकी सेवा में जुटे नर्सिंग स्टाफ को संक्रमण हुआ है न कि एम्स स्टाफ से कोई मरीज संक्रमित हुआ है। लिहाजा हमें ऐसे कठिन दौर में सेवा में जुटे सिपाहियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।


एम्स निदेशक प्रो.रवि कांत ने बताया कि संस्थान में हल्द्वानी के ब्रेन स्ट्रोक से ग्रसित मरीज को उपचार के लिए लाया गया था, जो कि कोविड संक्रमित था, लिहाजा मरीज की सेवा में लगे नर्सिग स्टाफ को कोरोना संक्रमण हो गया। इसी प्रकार रुडकी से आए किडनी व कैंसर ग्रसित गंभीर रोगी को एम्स में उपचार दिया गया।


निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि यह जानते हुए भी कि उक्त दोनों इलाके कोरोना के हॉट स्पॉट में आते हैं बावजूद इसके संस्थान में गंभीर रोगियों को उपचार के लिए भर्ती किया गया। दोनों मरीजों के कोरोना संक्रमित होने से उनसे नर्सिग ऑफिसर्स में संक्रमण हुआ है। उन्होंने बताया कि कोविड19 के विश्वव्यापी प्रकोप के इस गंभीर हालात में भी मरीजों की चिकित्सा सहायता को तत्पर ऐसे सिपाहियों को हमें प्रोत्साहित करना चाहिए। न कि उन्हें कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि हाल ही में एम्स में कोविड टेस्टिंग में पॉजिटिव आए मरीजों के लिए कुछ लोग एम्स संस्थान पर कोरोना फैलाने का मित्थ्या आरोप लगाकर दुष्प्रचार कर रहे हैं। ऐसे लोगों को कठिन परिस्थितियों में संस्थान व संस्थान कर्मियों के चिकित्सा सेवा के योगदान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।


जांच की जरूरत–


AIIMS प्रशासन के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयानों से जहां एक ओर AIIMS जैसे संस्थान की छवि धूमिल हो रही है वहीं दूसरी ओर शक की सुईं AIIMS की कोरोना जांच और AIIMS प्रशासन की लापरवाही पर भी घूम रही है। जिसकी जांच जरूरी प्रतीत हो रही।