नहीं मिली एंबुलेंस, कंधों पर ही ले जानी पड़ी अर्थी

लॉकडाउन के चलते अर्थी को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए वाहन तक नसीब नहीं हुआ। अर्थी को कनखल श्मशान घाट तक कंधों पर ले जाने के लिए परिजन मजबूर रहे। लॉकडाउन का दूसरा असर यह रहा कि यात्रा में भी लोग शामिल नहीं हो सके।


मध्य हरिद्वार निवासी विक्की सैनी के पिता का शुक्रवार को निधन हो गया था। शाम चार बजे सेवा समिति का शव वाहन मंगाने के लिए फोन किया, लेकिन लॉकडाउन के चलते चालक ने आने से इनकार कर दिया।


इसके अलावा अन्य समितियों के शव वाहनों को फोन किया तो किसी ने रिसीव तक नहीं किया। विक्की सैनी ने बताया कि परिजन आसपास के अस्पतालों से एंबुलेंस लाने के लिए पहुंचे, लेकिन सभी ने इनकार दिया।

न्यू हरिद्वार के अस्पताल संचालकों ने एंबुलेंस देने का आश्वासन दिया, लेकिन जब शव को लेकर वहां पर पहुंचे तो एंबुलेंस नहीं मिली और डॉक्टर ने फोन रिसीव नहीं किया। इससे निराश लोग अर्थी को कनखल श्मशान तक कंधों पर ही ले जाने को मजबूर रहे।