कोरोना लॉकडाउन: प्रवासी मज़दूरों के लिए क्या कर रही हैं राज्य सरकारें


कोरोना संक्रमण को लेकर किए गए लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए प्रवासियों को घर वापस लाने की मुहिम चल रही है. इस क्रम में हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूरों का भी अपने अपने राज्यों में वापस लौटना जारी है.


दूसरे राज्यों में फंसे इन मज़दूरों को विशेष ट्रेनों और बसों से लाया जा रहा है. हालांकि हज़ारों की तादाद में पहुंच रहे मज़दूरों को लेकर राज्य की चिंताएं अब बढ़ने लगी हैं क्योंकि क्वारंटीन की समायवधि ख़त्म होते ही राज्य सरकारों को इनके लिए रोज़गार की वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी.


वैसे उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने स्थानीय स्तर पर ऐसी ही कुछ वैकल्पिक व्यवस्था करने की योजना बनाई है.


चलिए देखते हैं कि उत्तर प्रदेश समेत बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में पहुंच रहे इन प्रवासी मज़दूरों की तादाद कितनी और स्थिति कैसी है और साथ ही यह भी कि राज्य सरकारें इनके भविष्य को लेकर क्या किसी योजना पर काम कर रही हैं. आखिर क्या है राज्य सरकार की तैयारी?


यूपी में स्थानीय स्तर पर रोज़गार देने की तैयारी


रेलवे मंत्रालय ने अब तक जितनी ट्रेनें चलाई हैं, उनमें सबसे ज़्यादा उत्तर प्रदेश के ही अलग-अलग शहरों में आई हैं. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सरकार बाहर से आने वाले मज़दूरों को स्थानीय स्तर पर ही रोज़गार देने की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार कर रही है. इसके लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं.


राज्य के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के मुताबिक, "सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वापस आए सभी श्रमिकों का अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए और 14 दिनों तक क्वारंटीन में रखने और स्वस्थ होने के बाद ही उनके घर जाने दिया जाए. इसके अलावा उनका स्वास्थ्य परीक्षण करने वाली टीम को भी 14 दिन के क्वारंटीन में रखा जाए."


प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए राज्य सरकार ने एक जनसुनवाई पोर्टल भी लॉन्च किया है जहां रजिस्ट्रेशन कराकर प्रवासी मज़दूर अपने घर जा सकते हैं. इस पोर्टल पर प्रदेश के बाहर अथवा दूसरे किसी राज्य के जो लोग प्रदेश में फंसे हैं वो भी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.