मुंबई से हरिद्वार पहुंची श्रमिक स्पेशल में 87 कोरोना पॉजिटिव, 2 दिनों में और बढ़ सकती है संख्या

उत्तराखंड (Uttarakhand) स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। एम्स ऋषिकेष (Rishikesh) में हुई सैंपलों की जांच में 87 प्रवासी श्रमिकों (Migrant Workers) की रिपोर्ट कोरोना (Coronavirus) पॉजिटिव आई है। ये प्रवासी 20 मई को मुंबई (Mumbai) से हरिद्वार (Haridwar) पहुंचे थे।


देहरादून
मुंबई के हरिद्वार पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन ने उत्तराखंड की मुश्किलें बढ़ी दी हैं। शनिवार को यहां पहुंची स्पेशल ट्रेन के 55 यात्रियों और रविवार को 32 यात्रियों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि अभी 3000 सैंपलों की जांच होनी बाकी है। उन्होंने बताया कि 300 सैंपलों की रिपोर्ट अगले दो दिनों में आ सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लगभग 1500 यात्री हरिद्वार स्टेशन पहुंचे थे। ट्रेन मुंबई से 20 मई को यहां पहुंची थी और यात्रियों को बसों के जरिए उनके जिलों में भेजा गया था। इन यात्रियों को सैंपल कोरोना जांच के लिए लेकर भेजे गए थे। रिपोर्ट में जो प्रवासी श्रमिक पॉजिटिव आए हैं वे अल्मोड़ा, नैनीताल और बागेश्वर के रहने वाले हैं।


आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है संख्या
अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने कहा कि दो दिनों के अंदर 87 प्रवासी श्रमिक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। हम लोग अभी आने वाले दिनों में और रिपोर्ट्स आने के इंतजार कर रहे हैं। हरिद्वार डीएम सी रविशंकर ने कहा कि 20 मई को इस ट्रेन से 450 सैंपल लिए गए थे। कई यात्रियों की रिपोर्ट आ गई है लेकिन कई अभी पेंडिंग हैं।


ज्यादा होने के बाद एम्स ने रोकी सैंपलिंग
इधर 20 मई से 23 मई के बीच एम्स ऋषिकेश ने लगभग 1000 सैंपल लिए हैं। सैंपलों की संख्या ज्यादा होने से फिलहाल सैंपल लिए जाने बंद कर दिए गए हैं। एम्स के पीआरओ राकेश थपलियाल ने बताया कि फिलहाल संस्थान में जो एक हजार सैंपल पेंडिंग हैं, उनकी जांच की जा रही है। इन सैंपलों की जांच पूरी होने के बाद अब नए सैंपल लिए जाएंगे।



नई गाइडलाइन के आधार पर शुरू हुआ इलाज
मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने बताया कि कोविड-19 के इलाज की नई गाइडलाइन आ चुकी है। जो भी नए कोरोना पॉजिटिव केस आ रहे हैं। उन सभी मरीजों को अगले 10 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। अगर उन लोगों में 7 से 10 दिनों के अंदर कोई लक्षण विकसित नहीं होते हैं तो उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।